Munawar Faruqui Shayari in Hindi & English

By Be Funky Team

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Munawar Faruqui Shayari in Hindi & English

Munawar Faruqui, a poetic maestro of profound emotions and eloquence, weaves a tapestry of words that resonate with the very essence of the human soul. His Shayari, a lyrical journey through the realms of love, longing, and life, transcends the boundaries of conventional expression. With each verse, Faruqui effortlessly navigates the delicate nuances of emotions, painting vivid portraits that linger in the hearts of those who immerse themselves in the beauty of his poetic craft. In the enchanting world of Munawar Faruqui’s Shayari, every line is a brushstroke on the canvas of emotions, creating a masterpiece that speaks to the depths of the human experience.

Munawar Faruqui Shayari in Hindi

ये धूप चुब रही है माँ,
काश तेरा साया होता..!!

फल ही इतने लगे हुए थे इस पेड़ पे,
लोगो का पत्थर मरना लाजमी था..!!

अब नहीं है हम चिरागों के मोहताज,
उसकी आँखें महफिले रोशन करती हैं,
मै किताबें फिर से अलमारी मे रख आया हूँ,
सुना है वह बा कमाल इन्सान पढ़ती है..!!

एक तरफा मोहब्बत के किस्से मुझे मत सुनाओ,
मेने उसके बाद खुद से मोहब्बत नहीं की..!!

वो ख़्वाब कंधो पे लिए चलते हैं,
वो नसीब हाथो में लिए चलते हैं..!!

Munawar Faruqui Shayari in Hindi
Munawar Faruqui Shayari in Hindi

बादशाहो को सिखाया गया है कलंदर होना,
आप आसान समझते है मुनावर होना..!!

नहीं कोई वाकिफ कितना दर्द लिए चलता हु,
टूटता हर सुबह जब आईना देखता हु,
झूम के चलता हु हंस के मिलता हु,
मैं रोज ऐसे कितनो को दगा देता हु..!!

मेरा खुवाब इन पहाड़ो से बड़े हैं,
तूफ़ान में कागज़ की कस्ती लिए खड़े हैं,
ये कैसे रोकेंगे आसमान से आनेवाले मेरे रिस्क को,
मैं ज़मीं पर हु और ये पर काटने चले हैं..!!

वो झूठे वादे करते है, मगर मिलने नहीं आते,
हम भी कमबख्त इश्क से बाज नहीं आते..!!

बिन बताये उसने क्यों ये दूरी कर दी,
बिछड़कर उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी,
मेरे मुकद्दर में गम आये तो क्या हुआ,
खुदा ने उसकी खुवाईश तो पूरी कर दी..!!

एक मौका मिल ही गया मुझसे जलने वालों को,
जाते जाते उनकी जलन की राहत बन गया..!!

फिर भी जीत गया उस दर्द की महफ़िल में,
मैं ही अकेला इंसान था, जो बिना मां के पाला था..!!

आसान सा कुछ करना होता तो पहाड़ तोड़ लेते,
हम तो कमबख्त इश्क करना था..!!

मौत मुकम्बल मैं डरने वाला नहीं हु,
हक है मैं लड़ने वाला नहीं हु,
तालियों से जब मैं भर न दू स्टेडियम,
कसम खुदा की मैं मरने वाला नहीं हु..!!

वो राज की तरहा मेरी बातों मे था,
जुगनू जैसे मेरी काली रातों में था,
किस्सा क्या सुनाऊ तुम्हे कल रात का,
सितारों की भीड़ मे, वो चाँद मेरे हाथों में था..!!

ज़ुल्म करने वाले एक दिन ज़रुर दुबेंगे,
मेरा याकीन तो समंदर से भी गहरा है..!!

एक उमर लेके आना मैं खाली किताब ले आउंगा,
तोड़ कर लाने के वादे नहीं मैं अपनी कलम से सितारे सजाऊंगा..!!

वो ढूंढ़ रहे हैं वजाह मेरे मुस्कान की,
नादान मेरे सजदो से बेखबर है..!!

ख़्वाबों को मैंने थपकी देके सुलाया है,
और उन्हे पूरा करने खुद को कई रात जगाया है..!!

बाजारों में रौनक लोट आई है,
लगता है वो बेपर्दा बाजार आई है..!!

मेने साये लिए है खुद के,
वो मुझसे दूर नही जाते..!!

Best Munawar Faruqui Shayari in Hindi
Best Munawar Faruqui Shayari in Hindi

तुम जिद करके बैठे हो मेरा नाम नही लोगो,
फिर यू याद करके हिचकियां क्यू दे रहे हो..!!

मेरी कलम मेरी खुव्वत चाहे मंज़िल लिख दूं,
मेरी हुकूमत में, लहरों पे समंदर लिख दू,
दम इतना मे मस्त रहता खुद ही मे,
खुद की ही पेशानी पे कलंदर लिख दू..!!

सुनो तुम ख्वाब देखो,
में पूरा करके आता हूं..!!

झूलम करने वाले एक दिन जरूर डूबेंगे,
मेरा यकीन समंदर से भी गहरा है..!!

जल रहे है वो मुझे खुश देख कर,
कोई उन्हें मेरा दुख बता कर खुश करदो ..!!

वो मुझे दूर करने की ज़िद लिए बैठा है,
साथ चलना नहीं है मंजिल का वादा कर बैठा है,
मुझे मोहब्बत है समंदर की उन लहरों से,
और मेरा महबूब पहाड़ो को दिल दिया बैठा है..!!

बिना वजह इनका जलना मुझपे आम है,
खैर पूछते है जब होता कोई मुझसे काम है,
चिल्लर जैसे बजते आस पास मेरे ये,
इनकी अक्कलों से भी मोटे मुझपे दाम है..!!

बहती हुई वो, रुका हुआ मैं,,
मुक़म्मल सी वो, टूटा हुआ मैं..!!

कोई ठोकर खाके बैठा था, कोई गम में डूबा था,
किसी ने बड़े दर्द सहे थे तो कोई बरबाद हुआ था..!!

वो जुल्फों से दिन में रातें करती है,
उनकी आँखे ताउम्र की वादे करती है,
भरती है आहे हमारी आवाज़ को छूकर,
वो बस मुस्कुरा के बरसा के करती है..!!

कहना शायद मुस्किल होगा, तुझे कितना चाहता हूं,
तुझे आने वाली हिचकियों से माफी चाहता हूं..!!

तेरा काम जलाना सही , मेरा काम बुझाना रहेगा,
तुझमें और मुझमें फर्क है छोटे, वो हमेशा रहेगा..!!

तुम जिद करके बैठे हो मेरा नाम नही लोगो,
फिर यू याद करके हिचकियां क्यू दे रहे हो..!!

कोई कहता है तेरा जाना मुश्किल होगा,
खुदा ने खुशियाँ फैलाने भेजा है,
यकीन करो रोक पाना मुश्किल होगा,
स्टेज से रोका तो सड़कों को स्टेज बना दूंगा..!!

मेरे गम को हसी में दबा बैठा है,
राहतों का दौर अपनी राहों में लुटा बैठा है,
वो क्या ज़लील करेगा मेरी जात को,
जब कि मेरा खुदा मेरे गुनाहे छुपा बैठा है..!!

अब नहीं है हम चिरागों के मोहताज,
उसकी आँखें महफिले रोशन करती हैं,
मै किताबें फिर से अलमारी मे रख आया हूँ,
सुना है वह बा कमाल इन्सान पढ़ती है..!!

हँसा कर चेहरों को खूब रोशन किया है मैंने,
मेरे अंदर के अंधेरे, मुझसे बड़ी शिकायतें करते हैं..!!

आंखों का सुकुन तो, किसी के दिल की ठंडक हो गया,
एहसास न हुआ मुझे, मैं तो पिघलता हुआ बर्फ़ हो गया..!!

तेरा काम जलाना सही , मेरा काम बुझाना रहेगा,
तुझमें और मुझमें फर्क है छोटे, वो हमेशा रहेगा..!!

तेरी मोजूदगी का एहतराम कर भी लूं,
जब होगा रूबरु तो ये ज़ज़बात कहाँ छुपाऊंगा..!!

कितने दिल दुखाओगे बस करो,
ये काला काजल लगाना बस करो,
एकबार अगर देख ली जुल्फे खुली किसी ने,
मर जाएंगे कई सुनो बाल बाँध लो..!!

बादशाहो ने सिखाया कलंदर होना,
तुम आसान समझते हो क्या मुनव्वर होना,
दिन भर हंसती सकल लेकर चलना,
रोते सजदों में और गीले तकियो में सोना..!!

वो राज की तरहा मेरी बातों मे था,
जुगनू जैसे मेरी काली रातों में था,
किस्सा क्या सुनाऊ तुम्हे कल रात का..!!

मेरा ख्वाब जागेगा मेरी नींद भरी आखों में,
आँख लगे तो थाम लेना साथ मेरा..!!

वो राज की तरहा मेरी बातों मे था,
जुगनू जैसे मेरी काली रातों में था,
किस्सा क्या सुनाऊ तुम्हे कल रात का,
सितारों की भीड़ मे, वो चाँद मेरे हाथों में था..!!

कुछ रास्ता लिख देगा कुछ मै लिख दूंगा,
वो लिखते जाए मुश्किल मै मंज़िल लिख दूंगा..!!

वो झूठे वादे करते है..!! मगर मिलने नहीं आते,
हम भी कमबख्त इश्क से बाज नहीं आते..!!

मेरा ज़िक्र बंद करो मैं कोई आयत नहीं हु,
दुनिया फरेबी मैं खुद वफ़ा के लायक नहीं हु बन,
सवाल चलेंगे तो हाथ इनके काँपेगे..!!

बहती हुई है वो में रुका हुआ हूं,
मुकमल सी वो, टूट हुआ में..!!

इतना कुछ मिला है खुदा का लाख सुक्रिया,
अमल कुछ ख़ास नहीं मेरा आखिर फिक्र क्यों करू,
मुझे लगता है उसे पसंद है मेरा टूटना,
मुसिवते भेजता है ताकि मैं उसका ज़िक्र करू..!!

आसान सा कुछ करना होता तो पहाड़ तोड़ लेते,
हमें तो कमबख्त इश्क करना था..!!

मेरे तकिये पीले हैं आंसुओं से,
क्या तुम मुझे अपनी गोद में सुलाओगे..!!

सुना है बाग है तुम्हारे आंगन में,
मेरे ला हासिल बचपन को वो झूला दिखाओगे..!!

मेरी कलम मेरी खुव्वत चाहे मंज़िल लिख दूं,
मेरी हुकूमत में, लहरों पे समंदर लिख दू,
दम इतना मे मस्त रहता खुद ही मे,
खुद की ही पेशानी पे कलंदर लिख दू..!!

खड़ा बुलंदी पे खुदा लाख शुक्र करू,
आमाल खास नहीं तो आखिरत कि फ़िक्र करू,
उसको शायद पसंद है मेरा टूटना,
मुसीबत भेजता है, ताकि उसका जिक्र करू..!!

मेरा ख्वाब जागेगा मेरी नींद भरी आखों में,
आँख लगे तो थाम लेना साथ मेरा..!!

आजाति रोनख मेहफ़िलाओँ में मेरे नाम से ही,
इतना नायाब हूँ, आज दाम कोई लगा नहीं सकता..!!

दर्द तो दुनिया देती रहेगी छोटे,
चल दर्द माई साथ मस्कुरा कर चलते हैं..!!

ताराजू नहीं है इनके पास मेरे सच तोलने के लिए,
उंगली उठा रहे हैं ये जुड़े हुए हैं तोडने के लिए,
जरा बताओ में किस रब्ब का बंदा हूं मैं,
जो एक रास्ता बंद करता है, 100 खोलने के लिए..!!

न कभी देखता आगे क्या मुसीबत है,
मेरे पीछे काफिले है चलते दुआओ के..!!

बता दो बाजार कोइ, जहां मुझे वफा मिले,
यहाँ मै बेचूँ खुशी और गम साला नफा मिले,
मै बेचता नही जमीर खुदा के खौफ से,
वरना सौदा करने वाले तो कई दफा मिले..!!

टूटने पे इनकी ख्वाहिश होती पूरी,
सही कहते हैं, मैं सितारा बन गया हूँ..!!

हर जगह बड़े मायूस से चेहरे नजर आ रहें हैं,
लगता है अब उसने सजना सवरना बंद कर दिया है..!!

दफ़न है मुझमे कितने गम ना पूछो,
बुझ बुझ के जो रोशन रहा वो मुनव्वर हु मै..!!

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मुनीवर फारूकी की शायरी

कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं, जहाँ दूरी ही बेहतर होती है।
खुद को पहचानने के लिए कभी-कभी अकेले रहना जरूरी होता है।
इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी है उसका अहंकार।
समाज में बदलाव लाने के लिए सबसे पहले खुद को बदलना होता है।
जिंदगी एक सफर है, इस सफर को जी भर के जीना चाहिए।

एक शायरी लिखी है
कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा
तेरी सीरत साफ शीशे की तरह
मेरे दामन में दाग हजारों हैं
तू नयाब किसी पथर की तरह
मेरा उठना बैठना बाजारों में है
तेरी मौजूदगी का इहतिराम कर भी लूं
जब होगा रूबरू तो ये जज़्बात कहां छुपाऊंगा
एक उम्र लेकर आना
मैं खाली किताबें लेकर आऊंगा
तोड़ कर लाने के वादे नहीं
मैं अपनी कलम से सितारे सजाऊंगा
मेरी सब्र की इंतेहा पर शक कैसा
मैंने तेरे आने-जाने पर ता उम्र लिखी है
ज़मीन पे कोई ख़ास नहीं मेरा
तू एक बार क़ुबूल कर, मैं अपने गवाहों को आसमा से बुलवाऊंगा
एक शायरी लिखी है
कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा।

आँखों का सुकून तो
किसी के दिल की ठंडक हो गया,
एहसास ना हुआ मुझे,
मैं तो पिघलता हुआ बर्फ हो गया,
एक मौका मिल ही गया मुझसे जलने वालों को,
जाते जाते उनकी जलन की राहत बन गया।

कोई ख़ास दुश्मनी नहीं मुझसे तुम्हारी
मेरे सपनों से छोटी है रियासतें तुम्हारी
मेरे पैरों को काटने की नाकाम कोशिश मुबारक हो
मेरे ख़ुदा से ऊंची नहीं है पहुंच तुम्हारी

उड़ना नहीं है, बस चलना सीख लूं।
जुल्म ना हो किसी पे मुझसे,
मैं वह रहम सीख लूं।
काबिल नहीं हूँ, जो कुछ मिला है,
डर है, कहीं चाल ग़मंद ना सीख लूं।
मेहनत, इज्ज़त, कोशिश, शिकायत सब कर ली मैंने
अब करना थोड़ा सब्र सीख लूं।

सुकून के ख्वाब मेरे नाम नहीं कर रही
ये दवा-ए-नींद अब मुझपे काम नहीं कर रही
मेरे दर्द का गुनाह उनके सर पर है
ये तरबीयत है मेरी जो उन्हें बदनाम नहीं कर रही।

हाथ ठंडे, दिल में आग लिए बैठा हूँ
चेहरे पे हंसी, आँखों में आग लिए बैठा हूँ
परवाह नहीं मुझे इन बेनींद रातों की
मैं ख्वाबों को पूरे करने की ज़िद्द लिए बैठा हूँ

मुनीवर फारूकी की शायरी
मुनीवर फारूकी की शायरी

तेरे जलाल से अब तक ये दुनिया बे-खौफ थी
गुनाहों से भरी इनकी शर्में शौक थीं
जाने किस के सजदे से चल रहा है निजाम दुनिया का
क़यामत के लिए उस बच्चे की भूख बहुत थी

आँखों का सुकून तो
किसी के दिल का ठंडक हो गया
अहसास ना हुआ मुझे
मैं तो पिघलता हुआ बर्फ हो गया

एक मौका मिल ही गया मुझसे जलने वालों को,
जाते जाते उनकी जलन की राहत बन गया।

मेरे दर्दों का गुनाह तेरे पे है
उल्फत का मलाल उसके चेहरे पे है
बदल लिया था रास्ता मुझे देख कर
आज दुनिया-भर की निगाह मेरे पे है

फायदा उठाया है
मुझे नजर अंदाज भी किया है
सुना के फसाने झूठ के
मुझे बर्बाद किया है
मैं भी जिम्मेदार हूँ मेरी जिल्लत का
मैंने गैरों पर नहीं अपनों पर ऐतबार किया है

मैं बोझ लेकर चला हूँ उम्मीदों का
बड़ी मशक्कत से मंजिल दिखी है
रोशनी के नाम बस चिराग था पास
मैंने ये सुबह रात जागकर लिखी है

प्यार वही है, बस बताना छोड़ दिया
महफिल पसंद तेरी बस आना छोड़ दिया
कम जिद्दी नहीं है वफा ये मेरी
तूने जब से आजमाना छोड़ा
मेंने भी मानना छोड़ दिया

मैं अपनी करवातों का हिसाब लिए बैठा हूँ
मैं राज़दार उनके राज़ लिए बैठा हूँ
नहीं है ग़र्ज़ अब कोई परछाई बने मेरी
मैं अपने साए से नफ़रत किए बैठा हूँ

सिर्फ अंदाज़ा लगा ना सही नहीं
कहानी मेंने अब तक कही नहीं
अच्छे वक़्त पर आ गए तुम हमदर्द बनकर
खैर, ये ज़माना ही ऐसा है, ग़लती तुम्हारी नहीं

उसके इंतजार में लिखता हूँ अब मैं रुकूं कैसे
वो आज गली से गुजरा है, मैं आगे लिखूं कैसे
गमान-ए-हुस्न है शायद उनको खुद पे
अब मैं ईमान पर रहकर तक़ब्बुर सिखूं कैसे

खुद आवाज़ हूँ तेरे जैसा शोर नहीं
तिकने वाला हूँ, गुजर जाऊं वही दौर नहीं
तू करले लाख कोशिश मिटाने की
धूल हूँ, उड़ता रहूंगा
डूबने वाला पथ्थर नहीं

तुम ज़िद लिए बैठे हो मेरा नाम नहीं लोगे
फिर याद करके ये हिचकियां क्यों दे रहे हो।

दर्द देने वाले एक दिन जरूर डूबेंगे
मेरा यक़ीन तो समुंदर से भी गहरा है

दफ़न है मुझ में कितने रंज-ओ-ग़म,ना पूछो
बुझ बुझ के जो रोशन रहा,वो ‘मुनव्वर’ हूँ मैं

अब नहीं हैं हम चिराग़ों के मोहताज़
उसकी आँखें महफ़िलें रौशन करती हैं
मैं किताबें फिर से आलमारी में रख आया हूँ
सुना है वो बा कमाल इंसान पढ़ती है

प्यार वही है, बस बताना छोड़ दिया
महफिल पसंद तेरी बस आना छोड़ दिया
कम जिद्दी नहीं है वफा ये मेरी
तूने जब से आजमाना छोड़ा
मैंने भी मानना छोड़ दिया

लूट कर आबरू उसकी, ज़ालिम तुझे नींद कैसे आई होगी
बर्बाद कर उससे, घर जा कर तूने अपनी बहन से कैसे नजर मिलाई होगी

रहमत हज़ार लेकिन मोहब्बत से महसूस रहूँगा
मत पूछो मुझसे शिकायत उनकी, खुदा से करूँगा
मेरे नाम का जिक्र हो तो दुआ भेजना, सुकून की
मैं मुनव्वर मरने के बाद भी मशहूर रहूँगा

मेरे ग़म को मेरी हंसी में दबा बैठा है
राहतों का दौर मेरी राहों में लूटा बैठा है
वो क्या ज़लील करेगा मेरी ज़ात को
जबकि मेरा खुदा मेरा गुनाह माफ किया बैठा है

मेरे ग़म को मेरी हंसी में दबा बैठा है
राहतों का दौर मेरी राहों में लूटा बैठा है
वो क्या ज़लील करेगा मेरी ज़ात को
जबकि मेरा खुदा मेरा गुनाह माफ किया बैठा है

सोच हूँ, नादान हूँ
सब्र करने वाला तो कभी बेकारार हूँ
तेज़ शायर तो कभी बेजुबान हूँ
खड़ा होना बस का नहीं तेरे,
तू अमीर सही, मैं नयाब हूँ.
मेरे ग़म को मेरी हंसी में दबा बैठा है

राहतों का दौर मेरी राहों में लूटा बैठा है
वो क्या ज़लील करेगा मेरी ज़ात को
जबकि मेरा खुदा मेरा गुनाह माफ किया बैठा है

दर्द ऐसे छुपाते हैं
जैसे कोई गुनाह किया हो
वो हर रात घर मुस्कुराता
चेहरा लिए चलते हैं.
क़ाबिल होता तो दुनिया तेरे पास रख देता
जाने से बेहतर तू मेरे सर पर हाथ रख देता

तुझे लगा मैं दिल की बात छुपाई
तू एक बार दिल तो लगाता
मैं किसे अपने बे-हिसाब रख देता.
उसके इंतजार में लिखता हूँ अब मैं रुकूं कैसे
वो आज गली से गुजरा है, मैं आगे लिखूं कैसे
गमान-ए-हुस्न है शायद उनको खुद पे
अब मैं ईमान पर रहकर तक़ब्बुर सिखूं कैसे

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Munawar Faruqui Shayari In English

Ek shayri likhi hai
Kabhi milogi to sunaunga
Teri seerat saaf shishe ki tarah
Mere daaman me daag hazaaron hain
Tu nayaab kisi paththar ki tarah
Mera uthhna bethhna bazaaron me hai
Teri mojoodgi ka ehteraam kar bhi lun
Jab hoga roobaruh to ye zazbaat kahan chupaunga
Ek umr leke aana
Main khali kitaaben le aaunga
Tod kar laane ke waade nahi
Main apni kalam se sitaare sajaunga
Meri sabr ki intehaa par shak kaisa
Mene tere aane jaane pe ta umr likhi hai
Zameen pe koi khaas nahi mera
Tu ek baar qubool kar me apne gawahon ko aasmaa se bulwaunga
Ek shayri likhi hai
Kabhi milogi to sunaunga

Ek shayari likhi hai, kabhi miloge to sunaaunga,
Teri soorat saaf, sheeshe ki tarah mere daaman mein,
Daag hazaaron hain, tu naayaab, kisi patthar ki tarah,
Mera uthna baithna bazaaron mein hai.

Khushboo banakar gulon se uda karte hain,
Dhuaan banakar parvaton se uda karte hain,
Ye canchiyan khaak hamein udane se rokagi janaab,
Hum pankhon se nahin husahalon se uda karte hain.

Sir pe thi zimmedaari, khayehsho ko apni maara,
Jataate kya ke sab, to liya na sahara.
Manta hun main haara hun hazaaron jung,
Khuda gawah hai main ek bar bhi nahin himmat haara.

Dil mein hai ghar yahaan, par ghar nahin hai yahan,
Khud ko paaya hun main, par apne nahin hain yahan.

Zindagi ne sikhaya hai, har pal ko jee lena hai,
Kal kya hoga, kisko pata, bas aaj ko jee lena hai.

Munawar Faruqui Shayari In English
Munawar Faruqui Shayari In English

Rang badalne mein maza nahin, apne rang mein hi maza hai,
Khud ko kho na do duniya mein, apni pehchaan bana ke raho.

Har ek dua, har ek sahara, har ek baat,
Shukr guzari hai khuda se, aapki har ek neeyat.

Tere jalaal se ab tak ye duniya be khauf thi
Gunaahon se bhari inki shame shauk thi
Jaane kis ke sajdey se chal raha hai nizaam duniya ka
Qayamat ke liye us bachche ki bhook bahot thi

Mere dardo ka gunnah tere pe hai
Ulfat ka malaal uske chehre pe hai
Badal liya tha rasta mujhe dekh
kar Aaj duniya – bhar ki nigaah mere pe hai

Ek umr lekar aana,
main khaali kitaabein le aaunga.
Todh kar laane ke waade nahi,
main apni kalam se sitaare sajaaunga.
Iss zameen pe khaas koi hai nahi mera,
agar tu ek baar kabool kare,
main apne gawaahon ko aasmaan se bulaaunga.
Ek shayari likhi hai, kabhi milogi toh sunaaunga.

Khada bulandi pe khuda lakh sukr karu,
aamal khas nahi to akhirat ki fikr karu
usko shayad pasand hai mera tutna
musibat bhejta hai taki uska jikr karu !!

Rahamat hajar lekin mohbat se mahrum rahunga
mat pucho, mujhse shikayat unki khuda se karunga,
Mere naam ka jikr ho to dua bhejna sukun ki
Main munavar ke baad bhi mashhur rahunga !!

Meri kalam meri khuvvat chahe manzil likhdu
meri hukummat me, lahron pe samdnar likh du
dam itna me mast rahta khud hi me
khud ki hi pareshani pe kalandar likh du !!

Kitne dil dukhaoge bas karo
ye kala kajal lagana bas karo
ekbar agar dekh li julfe khuli kisi ne
mar jayenge kai suno baal bandh lo !!

kuch raasta likh dega,
kuch main likh dunga
vo likhhte jayein mushkil,
main manzil likh dunga…

Chalke Mai Sadko Se,
Batha Ab Palko Pe,
Har Din Chalata Mai,
Apni Hi Sarto Pe

Zakhmo Se Behta Lahoo,
Pocha Pardo Se,
Malam Lagati Meri,
Dardo Mei…

Har jagah bade maayus se chehre nazar aa rahe hain,
Lagta hai ab usne sajna sawarna band kar diya hai..!!

As we reach the end of Munawar Faruqui’s Shayari, it feels like closing a cherished book. His words, simple yet profound, stay with us like old friends. In this final chapter, there’s a sense of completeness, as if the poet has painted a picture with his verses and signed it with the ink of heartfelt emotions. It’s not just poetry; it’s a collection of moments, feelings, and reflections that resonate with the simplicity of life. Faruqui’s Shayari wraps up like a warm embrace, leaving behind a gentle reminder of the beauty found in the everyday stories we all share.

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